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सूरत में 200 करोड़ के डिजिटल गिरोह का सरगना गिरफ्तार:एक दिन में एक अकांउट से 42 करोड़ के ट्रांजेक्शन से हुआ था रैकेट का भंडाफोड़

1 month ago 34
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सूरत के उधना इलाके में मामूली वाहन चेकिंग के दौरान सामने आए हाईटेक साइबर फ्रॉड केस में पुलिस को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। इस केस में पुलिस ने अब वराछा निवासी और मार्केटिंग प्रोफेशनल मयूर इटालिया (40) को गिरफ्तार किया है, जो पकड़े गए आरोपी किरात का

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मयूर ने अगस्त 2024 से लेकर अब तक साइबर रैकेट के मुख्य सदस्यों किरात और फरार आरोपी दिव्येश को 30 से ज्यादा फर्जी बैंक अकाउंट बेचे थे, जिनमें से एक खाता 6 लाख रुपए में दिया गया था। सबसे बड़ा खुलासा यह है कि जिस बैंक अकाउंट से महज तीन दिन में 42 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ था, वह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का अकाउंट मयूर ने ही उपलब्ध कराया था।

आरोपियों के पास से स्टैंडर्ड चार्टर्ड, आरबीएल, एक्सिस, एचडीएफसी जैसे नामी बैंक के अकाउंट मिले थे। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर दो दिन की रिमांड ली है ताकि पता लगाया जा सके कि इतने सारे फर्जी अकाउंट मयूर ने कैसे और कहां से जुटाए, किसके जरिए ये ट्रांसफर किए गए और पैसों का आखिर क्या होता था। अब तक ईडी और डीआरआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी इस मामले में जोड़ दिया गया है।

पढ़ा-लिखा होने के बावजूद मयूर ने अपने स्किल्स का इस्तेमाल गैरकानूनी कामों में किया।

पढ़ा-लिखा होने के बावजूद मयूर ने अपने स्किल्स का इस्तेमाल गैरकानूनी कामों में किया।

एमबीए करने के बाद आरोपी मार्केटिंग से जुड़ गया मयूर इटालिया ने एमबीए करने के बाद मार्केटिंग के क्षेत्र में काम करना शुरू किया था। शुरू में वह पापड़ की मार्केटिंग करता था, लेकिन समय के साथ उसकी गतिविधियां संदिग्ध होती गईं और वह साइबर ठगी के नेटवर्क से जुड़ गया। पढ़ा-लिखा होने के बावजूद मयूर ने अपने स्किल्स का इस्तेमाल गैरकानूनी कामों में किया और करोड़ों के फर्जीवाड़े को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई।

ईडी और डीआरआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां कर रही मामले की जांच इस केस का सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि केवल तीन दिन में एक ही बैंक अकाउंट से 42 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया। यह अकाउंट स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का था, जिसे मयूर ने ही किरात और दिव्येश को बेचा था। इसी अकाउंट ने पूरे साइबर रैकेट की जड़ें खोल दीं और जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया। अब इस अकाउंट के लेनदेन की विस्तृत जांच ईडी और डीआरआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं।

बैंक खातों को फर्जी जीएसटी नंबर और टेक्सटाइल कंपनियों के नाम पर खोला गया था।

बैंक खातों को फर्जी जीएसटी नंबर और टेक्सटाइल कंपनियों के नाम पर खोला गया था।

फर्जी बैंक अकाउंट के लिए 1 लाख से 6 लाख रुपए तक लिए पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मयूर इटालिया ने अगस्त 2024 से लेकर अब तक मुख्य आरोपी किरात और फरार दिव्येश को कुल 30 फर्जी बैंक अकाउंट मुहैया कराए थे। इन खातों की कीमत 1 से 6 लाख रुपये तक थी। इन बैंक खातों को फर्जी जीएसटी नंबर और टेक्सटाइल कंपनियों के नाम पर खोला गया था, ताकि यह असली लगें और उन पर किसी को शक न हो। मयूर ने इस नेटवर्क में बैंकिंग व्यवस्था की नींव तैयार की थी।

फरार दिव्येश और किरात स्कूल टाइम के दाेस्त हैं फरार आरोपी दिव्येश टेक्सटाइल मार्केट से जुड़ा हुआ है और किरात जाधवानी उसका स्कूल टाइम का दोस्त है। दोनों ने मिलकर इस हाईटेक साइबर रैकेट को खड़ा किया था। मयूर किरात का मामा है, वह इसी संबंध के चलते इस गिरोह का हिस्सा बना और उसे बैंक अकाउंट मुहैया कराने का जिम्मा सौंपा गया। मयूर की गिरफ्तारी से इस गिरोह की परतें खुलने लगी हैं और माना जा रहा है कि आगे कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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